पर्यावरण के कर्म धर्म के महायज्ञ शुभारंभ आरम्भ आवश्यक का वर्तमान। पर्यावरण के कर्म धर्म के महायज्ञ शुभारंभ आरम्भ आवश्यक का वर्तमान।
बहुत चालक बनते हो भिखारी, नौटंकी करते सुना अपनी लाचारी बहुत चालक बनते हो भिखारी, नौटंकी करते सुना अपनी लाचारी
फिर भी एक तत्व मेरा रह जाएगा इसी दुनिया में तुम्हारे भीतर समाया हुआ ह्रदय के किसी कोने में..... फिर भी एक तत्व मेरा रह जाएगा इसी दुनिया में तुम्हारे भीतर समाया हुआ ह्रदय के कि...
मानव लेता इनसे सब कुछ है फिर भी कृतघ्न है मानव। मानव लेता इनसे सब कुछ है फिर भी कृतघ्न है मानव।
कभी आना मेरी दुनिया, डगर मैं छोड़ जाउँगा। कभी आना मेरी दुनिया, डगर मैं छोड़ जाउँगा।
हमारा देश जो नहीं है अब जर्जर, अब है हमारा भारत आत्मनिर्भर। हमारा देश जो नहीं है अब जर्जर, अब है हमारा भारत आत्मनिर्भर।